Saturday, May 1, 2010

राज्य मे अपराध नियंत्रण एक बड़ी चुनौती थी - नीतीश

पिछले विधान सभा के चुनाव के दौरान बिहार की जनता से मैंने एक वादा किया था कि मैं राज्‍य में कानून के शासन को पुन: बहाल करूँगा । ये कतई आसान न था । मुझे इस प्रयास में उस मिथक को तोड़ना था कि बिहार में अपराध नियंत्रण किसी के वश में नहीं है । मैं इसके लिये कृतसंकल्‍प था किन्‍तु मुझे इस बात का ख्‍याल रखना था‍ कि हमें इस उद्देश्‍य की प्रा‍प्ति कानून के दायरे में ही करनी थी । विगत में देश के विभिन्‍न भागों से आयी खबरों के कारण मुझे इस बात का इल्‍म था कि कानून-व्‍यवस्‍था के नियंत्रण के नाम पर अक्‍सर मानवाधिकारों का उल्‍लंघन होता है । इसी लिये मुझे यह सुनिश्चित करना था कि हमारी लक्ष्‍य प्राप्‍ति की दिशा में इस प्रकार की चूक न हो । अपराध नियंत्रण के संदर्भ में सर्वप्रथम मेरा ध्‍यान आर्म्‍स एक्‍ट के अंतर्गत दायर किये उन हजारों मामलों की तरफ गया जो वर्षों से लंबित थे । आर्म्‍स एक्‍ट के अंतर्गत तीन साल तक की सजा का प्रावधान है और इन मामलों में मुख्‍यत: राज्‍य के पुलिसकर्मी ही गवाह होते हैं । मैंने महसूस किया कि इन केसों का शीघ्र निष्‍पादन संभव है ------ अगर उनसे जुड़े गवाहों की उपस्थिति न्‍यायालयों में सुनिश्चित की जाए । हमारी सरकार ने तत्‍पश्‍चात बिहार पुलिस मुख्‍यालय में एक विशेष कोषांग की स्‍थापना ऐसे ही सारे मामलों के निष्‍पादन एवं इनसे जुड़े गवाहों को न्‍यायालयों में उपस्थित कराने के लिए की------ जिससे कानून तोड़ने वालों को समुचित सजा मिल सके । मैंने अधिकारियों की निर्देश दिया कि गवाहों को उपस्थित कराने के लिए वे यथासंभव न्‍यायालय से एक से अधिक तिथि की मांग न करें । मेरा ऐसा मानना है कि न्‍याय करना न्‍यायालय का कार्य है किन्‍तु सरकार का यह दायित्‍व है कि वह त्‍वरित न्‍याय के हेतु समुचित व्‍यवस्‍था करें । इस दिशा में हमारी सरकार ने न्‍यायालयों ऐसे कई गवाहों की उपस्थिति भी सुनिश्चित कराई जो झारखंड राज्‍य की स्‍थापना के बाद वहॉं चले गये थे । हमारे इन प्रयासों का जल्‍द असर हुआ और आर्म्‍स एक्‍ट के हजारों मामलों का निष्‍पादन त्‍वरित गति से हुआ । इस संदर्भ में मैं अपना-पराया भूल गया । इस बात से शीघ्र ही सभी अवगत हो गये कि कानून अपना काम करने लगी है । अपराधियों के बीच जुर्म करने के बाद कानून की पहूँच से दूर बने रहने का गुमान खत्‍म होता दिखने लगाA इन प्रयासों से आम लोगों में एक संदेश गया और उनमें सरकार के प्रति विश्‍वास जागृत हुई । उन्‍हें यह अहसास हुआ कि अब कानून तोड़ कर सजा से बचना किसी के लिये संभव न हो । तत्‍पश्‍चात राज्‍य के विभिन्‍न क्षेत्रों में बहुत ऐसे लोग, जो किसी न किसी पुराने मामलों में सजा दिलाने के लिये न्‍यायालयों में उपस्थित होना चाहते थे] अब खासे भयमुक्‍त हो कर आगे आने लगे । इससे कानून तोड़ने वालों को भी समझ में आ गया कि हमारी सरकार अपराध नियंत्रण हेतु कितनी सजग है । जिन्‍हें अपनी काले शीशे चढ़े वाहनों की खिड़कियों से बंदूके दिखाने का शौक था या फिर उन्‍हें जिन्‍हें शादी-विवाह के अवसर पर शामियाने में अपनी गैर-लाईसेंसी हथियार से गोली दागकर शक्ति प्रदर्शन की अभिरूचि थी यह समझने में कतई वक्‍त नहीं लगा । सन 2006 में मैंने लंबित मामलों के त्‍वरित निष्‍पादन हेतु एक मींटिग आहूत की जिसमें पटना उच्‍च न्‍यायालय के मुख्‍य न्‍यायाधीश और अन्‍य न्‍यायाधीशों के अलावे सभी जिलाधीश, पुलिस अधीक्षक और लोक अभियोजक शामिल हुये । मेरी जानकारी में भारत में ये अपने प्रकार की पहली पहल थी । हमने एक 'एक्‍शन प्‍लान' के तहत हजारों लंबित मामलों की सुनवाई हेतु 'स्‍पीडी ट्रायल' की व्‍यवस्‍‍था की, जिसके कारण हजारों मुजरिमों को सजा मिली । कई मामलों की सुनवाई जेल प्रांगण में भी शुरू की गई । इन मामलों में हुये त्‍वरित कार्यवाही से अपराधियों में कानून के प्रति भय हुआ । मैंने तो बस यह संदेश दिया था कि हमारी सरकार अपराध नियंत्रण की दिशा में किसी तरह की कोताही बर्दाश्‍त नहीं करेगी । इस संदर्भ में माननीय न्‍यायालयों एवं न्‍यायिक प्रक्रिया से संबद्ध प्रबुद्ध मानस का सहयोग सराहनीय रहा । आपको भी खुशी होगी कि अब तक के हमारे शासन काल में एक भी संप्रदायिक दंगे या जातीय संघर्ष की घटना नही हुई है । हमनें प्रत्‍येक जिलाधिकारियों एवं पुलिस अधीक्षकों को स्‍पष्‍ट निर्देश दिया हुआ है कि समाज में शान्ति एवं सद्-भाव बरकरार करना उनकी व्‍यक्तिगत जिम्‍मेदारी है । जब हमनें बिहार में शासन की कमान संभाली तो हमनें महसूस किया कि हमारे थानों में संसाधन का नितांत अभाव है । अगर कोई नागरिक कोई शिकायत दर्ज कराने जाता था तो उससे कहा जाता था कि वह स्‍वयं कागज की व्‍यवस्‍था करे । हमारी सरकार ने थानों के रख-रखाब के लिये एक विशेष वार्षिक कोष का गठन किया । इन तमाम प्रयासों से हमें एक भय-मुक्‍त समाज बनाने में मदद मिली । वर्षों बाद लोग देर रात तक अपने परिवार के सदस्‍यों के साथ सड़क पर पु:न दिखने लगे । एक वक्‍त था जब समाज में भय इस कदर व्‍याप्‍त था कि पटना के रेस्‍त्ररां में बमुश्किल एक या दो ग्राहक रात्रि में देखे जाते थे । अब आलम यह है कि लोंगों को होटलों में प्रवेश के लिये कतार में लंबे समय तक इंतजार करना पड़ता है । यहॉं तक कि लोग परिवार सहित नाईट शो में भी सिनेमा हॉल में फिर से दिखने लगे हैं । मुझे यह कहने में लेशमात्र झिझक नहीं है कि यह परिवर्त्तन मूलत: अपराध पर नियंत्रण होने के कारण संभव हो पाया । इसका प्रभाव अन्‍य क्षेत्रों पर भी हुआ । मुझे आजकल अक्‍सर कहा जाता है कि पटना में एक फ्लैट की कीमत देश के अन्‍य विकसित शहरों की तुलना में अधिक है । ऐसा तब हुआ जब पिछले वर्ष की आर्थिक मंदी ने बाजार को हर जगह प्रभावित किया । हमारे शासन काल के पहले पंद्रह वर्षो में बिहार में व्‍यापार के क्षेत्र में विकास नहीं हुआ था । लोग अपनी संपत्ति को कम दामों में बेचकर राज्‍य छोड़कर अन्‍यत्र बसने लगे । बिहार में उस समय में 'डिसट्रेल सेल' के अनेक उदाहरण अभी भी मिल सकते है । आज के बदले माहौल में व्‍यापार और व्‍यवसाय जिस गति से बढ़ते दिख रहे हैं उससे मुझे विश्‍वास है कि निकट भविष्‍य में हमारी व्‍यवस्‍था खुद अपनी सचेतक व नियंत्रक की भूमिका जिम्‍मेदारी पूर्वक निवार्ह कर सकेगी । विगत दिनों में गया में एक जापानी पर्यटक से दुष्‍कर्म का मामला सामने आया। जिस दिन मुझे इसकी जानकारी मिली मुझे उस रात नींद नहीं आयी । मैंने पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिया कि अपराधियों के खिलाफ सख्‍त कार्यवाही हो और इस मामले को निपटारा त्‍वरित न्‍यायालय में हो । इस मामले में आरोपियों का गिरफ्तार किया जा चुका है और न्‍यायालय में पुलिस ने आरोप-पत्र दाखिल भी कर दिया है । इस घटना में संलग्‍न सभी अपराधियों को शीघ्र सजा मिलेगी । यह सच है कि समाज से अपराध का खात्‍मा पूर्णत: नहीं किया जा सकता है किन्‍तु समुचित प्रशासिनक व्‍यवस्‍था एवं समयबद्ध न्‍याय के साथ उसका नियंत्रण संभव है । खास बात यह है कि जनमानस पटल पर सुरक्षा को लेकर लकीरें न दिखें । अवाम में असुरक्षा की भावना अपराधियों को ही बल देगी ।हमारी सरकार ने अपराध के लिये समुचित सजा सुनिश्चित कर जनता का विश्‍वास जीता है । बिहार में यह अब संभव नही है कि कोई व्‍यक्ति जुर्म करके सजा से बचा रह सके ।---ऐसी हमारी दृढ़संकल्पिता है । उन्‍हें अब इस बात का पता है कि कोई है जो उन पर नजर बनाये हुये है । नीतीश
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